5 Simple Statements About bhairav kavach Explained

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महाकालोऽक्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।

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सरकारी कामो में सफलता प्राप्त होती है।

देवदानवगन्धर्वकिन्नरपरिसेवितम् ॥ ४॥

यः इदं कवचं देवि चिन्तयेन्मन्मुखोदितम् ॥ २३॥

पिङ्गलाक्षो मञ्जुयुद्धे युद्धे नित्यं जयप्रदः ।

ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः । 



॥ ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीम् ॥

वेदादिबीजमादाय भगमान् तदनन्तरम् ॥ १७॥

शत्रु के द्वारा किये हुए मारण, मोहन, उच्चाटन आदि तंत्र दोष नष्ट होते है, उनसें रक्षा होती है।



केन सिद्धिं ददात्याशु काली त्रैलोक्यमोहन click here ॥ १॥

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